“न हम साथ हैं, न हम सहमत हैं !”
देश और समाज को जिस तरह भीड़ में बदल कर, एक-दूसरे के खिलाफ खड़ा करने का सिलसिला चल रहा है और अभी-अभी जुनैद तक पहुंचा है, उसे हम बहुत गंभीरता व चिंता से देख रहे हैं और इससे अपनी असहमति की घोषणा करने के लिए सार्वजनिक रूप से सामने आना जरूरी समझते हैं.
इसलिए “ न हम साथ हैं, न हम सहमत हैं !” नाम से हम एक अभियान चलाएंगे जिसमें 5 जुलाई 2017 को, शाम 4 से 7 के बीच रायुसं के बैनर तले हम सब 3 घंटे के कार्यक्रम में अपनी-अपनी जगह जमा होंगे - हम अपने इलाके में रहने वाले सभी समुदायों से - जाति, धर्म, स्त्री-पुरुष, मालिक-मजदूर, विद्यार्थी-शिक्षक-वकील-डॉक्टर आदि-आदि का विवेक करते हुए हम सबसे लगातार संपर्क करेंगे, और सभी साथ आएं, इसकी पूरी कोशिश करेंगे.
“न हम साथ हैं, न हम सहमत हैं!’ के बैनर के नीचे हम सब जमा होंगे. इस अवसर के लिए तैयार किया एक पर्चा बांटेंगे, उसे कार्यक्रम में मंच से पढ़ कर सुनाएंगे, कुछ लोग अपनी बातें रखेंगे, कुछ लोग कविताएं पढ़ेंगे, जहां संभव हो वहां नुक्कड़ नाटक करेंगे, पोस्टर प्रदर्शनी लगाएंगे. भीड़ जमा कर के हत्याओं का जैसा दौर चल रहा है और इसमें सरकार-प्रशासन का जैसा रवैया दीख रहा है, हमें उससे अपनी पूर्ण असहमति जाहिर करते है, गुस्सा नहीं, इससे लड़ने का अपना मजबूत संकल्प जाहिर करते है और समाज का आह्वान करते है कि हम हिंसक भीड़ में नहीं बदलेंगे बल्कि संकल्पवान संगठन के रूप में सामने आ कर समाज के इस पाशवीकरण का विरोध करेंगे और उन सबका मुकाबला करेंगे जो ऐसी मानसिकता फैलाने में लगे हैं.
हम किसी संगठन, व्यक्ति या सरकार का नाम नहीं लेते लेकिन इस वृत्ति और प्रवृत्ति पर पूरी ताकत से चोट करते हैं.
रायुसं की अपने मूल्यों पर कितनी आस्था है हमारी, इसका प्रमाण देने का यह वक्त है.
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http://www.sacw.net/article13344.html
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